
बरनावा, 7 सितंबर। सच्चा सौदा सर्व-धर्म संगम है। यहां सभी धर्मो का सांझा सत्संग होता है सभी धर्मो का आदर सत्कार किया जाता है। यहां बताया जाता है कि हम सब एक है। हमारा मालिक भी एक है। यही हमारा संदेश है। उक्त वचन पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बरनावा आश्रम में मासिक रूहानी सत्संग में एकत्र लाखों की संख्या में श्रद्धालुओ को सम्बोधित करते हुए फरमाए। सत्सगं सुनने के लिए विभिन्न राज्यों से कई लाख श्रद्धालु आश्रम पहुंचे। सत्संग समाप्ति तक भी श्रद्धालुओं की मुख्य गेट पर बड़ी-बड़ी कतारे लगी थी। संत जी
ने सत्संग के भजन आजा रे वापिस प्रभु है पुकारे, भुल गया क्यों घर तु प्यारे की व्याख्या करते हुए फरमाया कि संत जीवो को सत्संग लगाकर समझाते है कि अब सुनहरा अवसर है तुझे मनुष्य जन्म मिला है। तू इसका लाभ उठा। तू उस प्रभु परमात्मा से बिछड़ी हुई एक नूरे किरण हे जो प्रकाश का स्तम्भ है। जो कण-कण जर्रे-जर्रे में समाया है। वह इंसान को बुलाने के लिए संत दुनिया में भेजता है। जीव को प्रभु से बिछड़े सदियां हो गई है। संत सत्संग लगाकर इंसान को इसका असली घर, असली उद्देश्य बताते हैं कि भाई तु प्रभु-परमात्मा को भुलकर क्यों गम-चिन्ता परेशानिया झेल रहा है। तु प्रभु-परमात्मा के नाम का सिमरन कर जिससे तु इस दुनिया में भी खुशी से जीवन व्यतीत करेगा और आवागमन के चक्कर से मुक्त होकर भगवान को प्राप्त कर सकेग। संत दुनिया में परमार्थ के लिए आते हैं न कि स्वार्थ के लिए। संतो को अगर कोई बुरा भी कहता है तो उसके लिए भी संत दुआ करते हैं श्राप नहीं देते। संत सत्संग में इंसान को अमृत-आबोहयात हरि रस का खजाना लुटाते हैं वह ऐसा टॉनिक है जिसे पाने से सब गम चिन्ता परेशानी खत्म हो जाती है। यह टॉनिक बाजार से नहीं मिलता। इसके सेवन से इंसान के अन्दर छुपी हुई गैबी शक्तियां जागृत हो जाती है। जो इंसान को सफलता की ओर ले जाता है। संत जी ने आगे फरमाया कि इंसान को बुरे कर्म छोड़कर कर्तव्य का पालन करते हुए परमार्थ के मार्ग पर चलना चाहिए। इंसान जैसे-जैसे बुराईयां छोड़ता है वैसे-वैसे प्रभु-परमात्मा की कृपा के काबिल वह बनता जाता है। संत सच बोलते है एंव सच पर चलने की प्रेरणा देते है। संत जी ने फरमाया कि अगर जीव सत्संग में आकर संतो के वचनो पर दृढ़ता से अमल करें तो आत्मा का बीमा हो जाता हे। जिसपर कोई पैसा नहीं लगता। संत जी ने कहा कि किसी भी धर्म में नहीं लिखा कि माँस खाना चाहिए। बल्कि ग्रंथो में तो यह लिखा है कि जीव को इससे परहेज करना चाहिए। इंसान आज अपने दु:खो से दुखी नहीं है बल्कि दुसरों के सुख को देखकर दुखी हे। इंसान को किसी को हंसता देखकर दुखी नहीं होना चाहिए। संत जी ने कहा कि यह काल का देश हैॅ। यहां सच्चाई पर चलने वालों, राम नाम जपने वालो पर अत्याचार किया जाता है। राम नाम रोकने की कोशिश की जाती है और बुरे कर्म करने वालो को प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन राम-नाम न कभी रूका है एवं न ही रूकेगा। संत जी ने बताया कि जो तांत्रिक किसी जीव ही बलि चढ़ाता है वह हत्यारा है पापी है। उसे करनी का फल अवश्य भोगना पड़ता है। संत जी ने श्रद्धालुओं से सभी प्रकार के गन्दे नशो से दूर रहने की हिदायत दी एवं कन्या भु्रण हत्या को जघन्य अपराध बताते हुए इसे रोकने के लिए सभी से अपील की और चेतावनी दी कि अगर अभी समय रहते इसे न रोका गया तो इसके भयानक परिणाम इंसान के भुगतने होंगे। पूज्य संत जी ने दुध की समस्या एवं इसमें मिलावट पर रोक लगाने एवं पशुओं से माँसाहार के लिए किए जा रहे लगातार कटान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इसे रोकने के लिए श्रद्धालुओं को जागृत किया। गिरते जल स्तर को रोकने हेतु अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने एवं पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग करने की श्रद्धालुओं को हिदायत दी। पूज्य गुरू जी ने सत्संग के पश्चात 16,654 जिज्ञासू जीवों को भक्ति करने का तरीका नाम-शब्द बताया।सेवादारों द्वारा सत्संग में आये लाखों श्रद्धालुओं को मात्र आधे घण्टे में भोजन खिलाया गया। ट्रेफिक व्यवस्था में लगे सैकड़ो सेवादारों द्वारा वाहनों को ग्राउंड में पंक्ति लगवाकर खड़ा कराया एवं सड़क पर जाम से छुटकारा दिलाया।
ने सत्संग के भजन आजा रे वापिस प्रभु है पुकारे, भुल गया क्यों घर तु प्यारे की व्याख्या करते हुए फरमाया कि संत जीवो को सत्संग लगाकर समझाते है कि अब सुनहरा अवसर है तुझे मनुष्य जन्म मिला है। तू इसका लाभ उठा। तू उस प्रभु परमात्मा से बिछड़ी हुई एक नूरे किरण हे जो प्रकाश का स्तम्भ है। जो कण-कण जर्रे-जर्रे में समाया है। वह इंसान को बुलाने के लिए संत दुनिया में भेजता है। जीव को प्रभु से बिछड़े सदियां हो गई है। संत सत्संग लगाकर इंसान को इसका असली घर, असली उद्देश्य बताते हैं कि भाई तु प्रभु-परमात्मा को भुलकर क्यों गम-चिन्ता परेशानिया झेल रहा है। तु प्रभु-परमात्मा के नाम का सिमरन कर जिससे तु इस दुनिया में भी खुशी से जीवन व्यतीत करेगा और आवागमन के चक्कर से मुक्त होकर भगवान को प्राप्त कर सकेग। संत दुनिया में परमार्थ के लिए आते हैं न कि स्वार्थ के लिए। संतो को अगर कोई बुरा भी कहता है तो उसके लिए भी संत दुआ करते हैं श्राप नहीं देते। संत सत्संग में इंसान को अमृत-आबोहयात हरि रस का खजाना लुटाते हैं वह ऐसा टॉनिक है जिसे पाने से सब गम चिन्ता परेशानी खत्म हो जाती है। यह टॉनिक बाजार से नहीं मिलता। इसके सेवन से इंसान के अन्दर छुपी हुई गैबी शक्तियां जागृत हो जाती है। जो इंसान को सफलता की ओर ले जाता है। संत जी ने आगे फरमाया कि इंसान को बुरे कर्म छोड़कर कर्तव्य का पालन करते हुए परमार्थ के मार्ग पर चलना चाहिए। इंसान जैसे-जैसे बुराईयां छोड़ता है वैसे-वैसे प्रभु-परमात्मा की कृपा के काबिल वह बनता जाता है। संत सच बोलते है एंव सच पर चलने की प्रेरणा देते है। संत जी ने फरमाया कि अगर जीव सत्संग में आकर संतो के वचनो पर दृढ़ता से अमल करें तो आत्मा का बीमा हो जाता हे। जिसपर कोई पैसा नहीं लगता। संत जी ने कहा कि किसी भी धर्म में नहीं लिखा कि माँस खाना चाहिए। बल्कि ग्रंथो में तो यह लिखा है कि जीव को इससे परहेज करना चाहिए। इंसान आज अपने दु:खो से दुखी नहीं है बल्कि दुसरों के सुख को देखकर दुखी हे। इंसान को किसी को हंसता देखकर दुखी नहीं होना चाहिए। संत जी ने कहा कि यह काल का देश हैॅ। यहां सच्चाई पर चलने वालों, राम नाम जपने वालो पर अत्याचार किया जाता है। राम नाम रोकने की कोशिश की जाती है और बुरे कर्म करने वालो को प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन राम-नाम न कभी रूका है एवं न ही रूकेगा। संत जी ने बताया कि जो तांत्रिक किसी जीव ही बलि चढ़ाता है वह हत्यारा है पापी है। उसे करनी का फल अवश्य भोगना पड़ता है। संत जी ने श्रद्धालुओं से सभी प्रकार के गन्दे नशो से दूर रहने की हिदायत दी एवं कन्या भु्रण हत्या को जघन्य अपराध बताते हुए इसे रोकने के लिए सभी से अपील की और चेतावनी दी कि अगर अभी समय रहते इसे न रोका गया तो इसके भयानक परिणाम इंसान के भुगतने होंगे। पूज्य संत जी ने दुध की समस्या एवं इसमें मिलावट पर रोक लगाने एवं पशुओं से माँसाहार के लिए किए जा रहे लगातार कटान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इसे रोकने के लिए श्रद्धालुओं को जागृत किया। गिरते जल स्तर को रोकने हेतु अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने एवं पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग करने की श्रद्धालुओं को हिदायत दी। पूज्य गुरू जी ने सत्संग के पश्चात 16,654 जिज्ञासू जीवों को भक्ति करने का तरीका नाम-शब्द बताया।सेवादारों द्वारा सत्संग में आये लाखों श्रद्धालुओं को मात्र आधे घण्टे में भोजन खिलाया गया। ट्रेफिक व्यवस्था में लगे सैकड़ो सेवादारों द्वारा वाहनों को ग्राउंड में पंक्ति लगवाकर खड़ा कराया एवं सड़क पर जाम से छुटकारा दिलाया।
Guru ji ne duniya ko sacha rasta dikhaya hai
ReplyDeletemahesh
bikaner